ख़ुश-अदाओं से बस अल्लाह बचाए दिल को कि बना लेते हैं अपना ये पराए दिल को इश्क़ आसाँ नहीं ऐ जान बड़ा मुश्किल है जान दे दे मगर इंसाँ न लगाए दिल को ये वो मुज़्तर है कि ठहरा है न ठहरेगा कभी लाख मुट्ठी में कोई अपने दबाए दिल को निगह-ए-यार भी है ताक में अंदाज़ भी है इन लुटेरों से बस अल्लाह बचाए दिल को हाथ उस गौहर-ए-ख़ूबी के है बेड़ा 'साबिर' बहर-ए-उल्फ़त में डुबाए या तिराए दिल को