ख़ुश-कुन ख़बर के धोके में रक्खा गया मुझे By Ghazal << जो भी तख़्त पे आ कर बैठा ... इन सराबों से गुज़रने दे म... >> ख़ुश-कुन ख़बर के धोके में रक्खा गया मुझे शब भर सहर के धोके में रखा गया मुझे उड़ने का इख़्तियार कहाँ मेरे पास था बस बाल-ओ-पर के धोके में रक्खा गया मुझे घर और घर के ख़्वाब से हिजरत के बा'द भी क्यूँ बाम-ओ-दर के धोके में रक्खा गया मुझे Share on: