इन सराबों से गुज़रने दे मुझे उँगलियाँ रेत में भरने दे मुझे जिस नदी पार न उतरा कोई उस नदी पार उतरने दे मुझे कोई सय्याह मुझे ढूँढेगा इक जज़ीरा हूँ उभरने दे मुझे यूँ न बे-ज़ार हो इतना ख़ुद से तेरा चेहरा हूँ सँवरने दे मुझे देख बे-मंज़री-ए-मंज़र को कम से कम रंग तो भरने दे मुझे रू-ब-रू मुझ को कभी ला मेरे अपने ही आप से डरने दे मुझे शुक्र कीजे कि शिकायत कीजे वो न जीने दे न मरने दे मुझे राह मत रोक कि मुश्किल है बहुत बहता पानी हूँ गुज़रने दे मुझे एक ऐसा भी शजर हो जो 'अमीर' अपने साए में ठहरने दे मुझे