ख़्वाब की बस्ती में अफ़्साने का घर शम्अ' की लौ पर है परवाने का घर बन गए आख़िर हरीफ़-ए-बाल-ओ-पर दाम की दीवार और दाने का घर आप भी संग-ए-तअक़्क़ुल फेंकिए आइना-ख़ाना है दीवाने का घर मैं जुनून-ए-इश्क़ और सहरा-ए-ग़म तू अदू की बज़्म बेगाने का घर अक़्ल-ओ-दानिश इल्म-ओ-इरफ़ाँ फ़िक्र-ओ-होश किन हिसारों में है फ़रज़ाने का घर हो गए गुमराह कुछ मेरी तरह ढूँडते हैं शैख़ पैमाने का घर क़िस्मत-ए-'तरज़ी' यही जागीर थी शहर-ए-ग़म कहिए कि वीराने का घर