ख़्वाब से दिल-लगी न कर लेना नींद से दुश्मनी न कर लेना आज से ज़िंदगी तुम्हारी है तुम मगर ख़ुद-कुशी न कर लेना दर्द बढ़ जाए तो दवा लेना ज़ख़्म से दोस्ती न कर लेना वस्ल की शब भले ही काली हो हिज्र में रौशनी न कर लेना ज़लज़ले भी उदास होते हैं दिल की बस्ती घनी न कर लेना साथ पढ़ती हो ठीक है लेकिन दोस्त से दोस्ती न कर लेना