ख़्वाब तुम्हारे आते हैं नींद उड़ा ले जाते हैं आज लिखेंगे हाल अपना सोचते हैं डर जाते हैं इश्क़ बहुत सच्चा है हम तारे तोड़ के लाते हैं रुस्वाई का ख़ौफ़ नहीं शोहरत से घबराते हैं नाम तुम्हारा आता है यादों में खो जाते हैं दिल में दर्द सा उठता है दर्द में डूबे जाते हैं उस का ध्यान जब आता है एक सुकून सा पाते हैं बाग़ों में वो जाता है फूल बहुत शरमाते हैं अपने घर वो चैन से है हम भी हँसते गाते हैं मर्ग-ए-मुसलसल है लेकिन हम ज़िंदा कहलाते हैं