ख़्वाब-नगर के शहज़ादे ने ऐसे भी निरवान लिया चाँद सजाया आँखों में और रात को सर पर तान लिया दुनिया-दारी खेल-तमाशा इश्क़-ओ-मोहब्बत राहत-ए-जाँ आग में अपनी जल कर हम ने बन बरगद ये ज्ञान लिया वो आँखें ही ऐसी थीं हम डूब गए अनजाने में जान के किस ने टूटी-फूटी कश्ती में तूफ़ान लिया कौन सा पर्दा हम से था तुम दिल की बातें कह सकते थे मुफ़्त में तुम ने बात बढ़ाई ग़ैरों का एहसान लिया हिर्स-ओ-हवस का दौर है इस में बिकते हैं सब रिश्ते-नाते जान पे अपनी क्यूँ कर तुम ने औरों का बोहतान लिया वाक़िफ़ कब था प्यार से पहले लेकिन 'ज़ाकिर' प्यार के बा'द क़िस्मत रेखा हुस्न-ओ-अदा और नाज़-ओ-जफ़ा सब जान लिया