ख़्वाबों से रत-जगों का गुज़र है कहाँ अभी रस्ता किसी तलब का दिगर है कहाँ अभी दिन दिन है रात रात है हस्ती के वास्ते परतव से आइने को मफ़र है कहाँ अभी ये सच है कट गया है अंधेरा तो शाम का आँखों में सहर साज़-ए-सहर है कहाँ अभी ख़ुद-साख़्ता सराब में है इश्क़ गामज़न हुस्न-ए-ख़िराम महव-ए-सफ़र है कहाँ अभी करता है बात बात पे उस की ही बात क्यों आगाह अपने दिल से बशर है कहाँ अभी सहरा तके है राह समुंदर की रात दिन ज़र्रात की दुआ में असर है कहाँ अभी आईने में सजाए तमन्ना की आगही दिल का नसीब ऐसी नज़र है कहाँ अभी सरमस्त हो के रक़्स करे मौज-ए-दिल में जाँ घुंघरू का रश्क कोई भँवर है कहाँ अभी रौज़न को जानता है मह-ओ-मेहर का मदार 'ऐमन' को रौशनी की ख़बर है कहाँ अभी