खिड़कियाँ दिल की खोल ऐ भाई हुस्न-ए-ज़न फिर टटोल ऐ भाई हर्फ़-ए-शीरीं ही बोल ऐ भाई शहद कानों में घोल ऐ भाई तेरे गाहक न टूट जाएँ कहीं कम तू हरगिज़ न तोल ऐ भाई हैं यगाने भी अपने मतलब के बंद आँखें तो खोल ऐ भाई कैसे पीतल बिकेगा सोने में झोल फिर भी है झोल ऐ भाई भैंस गाय भी जब कि बिकती है मोती हीरों के मोल ऐ भाई कर ले खोटे खरे की यूँ पहचान तू कसौटी पे रोल ऐ भाई अपनी दौलत का अपनी शोहरत का पीटता क्यों है ढोल ऐ भाई ख़तरा लाहक़ हो मौत का 'नय्यर' फिर भी हक़ बात बोल ऐ भाई