खिलौनों की दुकाँ पर दर्द का शहकार लाया हूँ ये कुछ आँसू हैं जिन को बेचने बाज़ार आया हूँ निगाहों से बरसते सर्द शो'लों की कहानी को ग़ज़ल का रूप दे कर आप की महफ़िल में लाया हूँ तसव्वुर के उफ़ुक़ पर जगमगाते चाँद तारों को अँधेरी बस्तियों के नाम इक पैग़ाम लाया हूँ सुनाऊँ तो ये डर है आप पर बार-ए-गराँ होगा वो इक सादा सा अफ़्साना जिसे आँखों में पाया हूँ ज़रा नज़रें उठा कर मुस्कुरा कर देख तो लीजे बड़ी उम्मीद ले कर आप की महफ़िल में आया हूँ ग़म-ओ-दर्द-ओ-अलम के तेज़ तूफ़ानों की गोदी में जो सदियों से रहा है मैं उसी हस्ती का साया हूँ जिसे दुनिया ने बढ़ कर ज़िंदगी का नाम दे डाला उसी बे-रब्त सी ख़्वाहिश का 'सादिक़' मैं सताया हूँ