खोले हुए गेसू हो परेशान लगो हो इस दिल की तरह तुम भी मिरी जान लगो हो दिलबर हो दिल-आरा हो दिल-आराम हो फिर भी तुम आफ़त-ए-जाँ मौत का सामान लगो हो मस्जूद-ए-तमन्ना हो कि मा'बूद-ए-मोहब्बत बुत-ख़ाना-ए-दिल का मिरे अरमान लगो हो सज्दों सा तड़प जाओ हो पेशानी-ए-दिल में काफ़िर जो बना दे है वो ईमान लगो हो तस्वीर-ए-तग़ज़्ज़ुल भी हो चेहरा भी किताबी आओ ना पढ़ें तुम मिरा दीवान लगो हो फिर शहर-ए-तमन्ना में कोई ख़ून हुआ है ये बात नई है जो पशेमान लगो हो इस ज़ह्न से गुज़रे हो 'सहर' यूँ तो हमेशा तुम कौन हो भूली हुई पहचान लगो हो