ख़ुद को आफ़ात-ए-ज़माना से बचाए रखिए वक़्त कैसा भी हो किरदार बनाए रखिए मिल ही जाएगा किसी वक़्त सुराग़-ए-मंज़िल राह-ए-उल्फ़त में निगाहों को बचाए रखिए कामयाबी से तो हो जाएगा क़िस्सा ही तमाम इश्क़-ए-नाकाम को नाकाम बनाए रखिए देखने आएँगे वो उन की ख़ुशी की ख़ातिर दिल के दाग़ों को क़रीने से सजाए रखिए फेंक दीजे मिरा दिल टूट गया फूट गया हो गया ख़ून उसे इस के बजाए रखिए बज़्म उस की है पराए पे नज़र मत कीजे रौनक़-ए-बज़्म बहर-हाल जमाए रखिए तोहफ़ा-ए-इश्क़ है 'एजाज़' वफ़ा हो कि जफ़ा जो भी मिल जाए उसे दिल से लगाए रखिए