ख़ुद से जो राब्ता नहीं करते ज़िंदगी से वफ़ा नहीं करते अपनी बातें कहा नहीं करते हम ख़मोशी को वा नहीं करते अपनी तस्वीर ऐसे मत देखो आँख को आइना नहीं करते बस सुनाते हो फ़ैसला अपना तुम कभी मशवरा नहीं करते तुम ये दुनिया भी जीत सकते हो बस ज़रा हौसला नहीं करते तुम को मालूम क्या है आज़ादी तुम परिंदे रिहा नहीं करते