ख़ुदा की सिद्क़-ए-दिल से तुम इताअ'त कर के देखो इबादत गर नहीं होती मोहब्बत कर के देखो किसी का ग़म समेटे कब तलक बैठे रहोगे अमानत में ज़रा सी तो ख़यानत कर के देखो तुम्हारा दिल तुम्हारी इक नहीं सुनता है जानाँ ज़रा मेरे हवाले ये मुसीबत कर के देखो मुकम्मल चाहिए मुझ को तुम्हारी बे-वफ़ाई मोहब्बत कर नहीं सकते अदावत कर के देखो ख़मोशी हिज्र चश्म-ए-नम दिल-ए-आशुफ़्ता ले कर ज़माने भर की ख़ुशियों की तिजारत कर के देखो तुम्हें दुनिया बदलनी है तो मेरी बात मानो झुकाना छोड़ दो सर को बग़ावत कर के देखो