खुल गया भेद ख़ुसरवी के बाद झोली भरती है आजिज़ी के बाद आख़िरी इश्क़ जो किया मैं ने इश्क़ पहला था आख़िरी के बाद शाम वो सर-फिरी मिली मुझ को आज इक और सर-फिरी के बाद प्यार के बाद प्यार कर लेना ख़ुद-कुशी है ये ख़ुद-कुशी के बाद हैं ये सावन की बारिशें कैसी हब्स होता है ताज़गी के बाद अपने लफ़्ज़ों को छोड़ आया हूँ साँस लेता हूँ ज़िंदगी के बाद तुझ को 'आरिब' ख़ुदा से माँगा है बंदगी की है बंदगी के बा'द