खुली है आँख हक़ीक़त की इंतिक़ाल के बाद मैं ज़िंदगी तुझे समझा हूँ देख-भाल के बाद तू मेरी रूह मिरा इश्क़ है निडर हो जा शजर नहीं हूँ कि बदलूँ लिबास साल के बाद मिरे अदू के इरादे तमाम ख़ाक हुए जब और इज्ज़ में आया मैं इश्तिआ'ल के बाद तिरी जुदाई के सदमे ने कर दिया पागल रहा मलाल न कोई तिरे मलाल के बाद तुम इस तरह से अगर हौसला बढ़ाते रहे बड़े कमाल करूँगा मैं इस कमाल के बाद फिर उस की आँखें नदामत के अश्क ले डूबे दिल-ए-तबाह से उठते हुए सवाल के बाद तिरे जुनूँ ने तुझे सुर्ख़-रू किया 'नाज़िश' तुझे उरूज मिला ज़ब्त-ए-बे-मिसाल के बाद