ख़ुशी के आँसूओं से दर्द का रिश्ता नहीं रहता जहाँ प्यासे नहीं रहते वहाँ दरिया नहीं रहता ज़माना ढूँढता फिरता है जिस को चाँद तारों में वो मेरे दिल में रहता है वो बे-पर्दा नहीं रहता उमीदों के सितारे झिलमिला कर डूब जाते हैं नज़र के सामने जब चाँद सा चेहरा नहीं रहता न जाने कितनी तस्वीरें बिगड़ती हैं उभरती हैं कभी फ़ुर्सत में अपने दिल का आईना नहीं रहता वो पतझड़ का ज़माना हो या वो सावन की रातें हों मरीज़-ए-दिल किसी मौसम में भी अच्छा नहीं रहता