ज़िंदगानी वो मो'तबर होगी जो मोहब्बत के नाम पर होगी होगी फूलों की मंज़िलत मा'लूम उम्र काँटों में जब बसर होगी दिल रहेगा तो ख़ून-ए-दिल होगा अश्क होंगे तो चश्म तर होगी जो तुझे देख के पलट आए वो नज़र भी कोई नज़र होगी रात तो दिन की इक अलामत है रात होगी तो इक सहर होगी रात-भर हम जलेंगे फ़ुर्क़त में रौशनी आज रात-भर होगी बेकली का गुमाँ 'अतश' था मगर ये न समझा था इस क़दर होगा