ख़्वाहिश-ए-यार ने हमें मारा ग़म के आज़ार ने हमें मारा हम ये महशर में साफ़ कह देंगे इस सितमगार ने हमें मारा ये कहा था कि मरते हैं हम तुम पर जान से यार ने हमें मारा तेरी रफ़्तार ने किया पामाल तेरी गुफ़्तार ने हमें मारा बे-ख़ता कहने से रक़ीबों के बुत-ए-खूँ-ख़्वार ने हमें मारा हाए किस नाज़ से तरह दे कर उस तरहदार ने हमें मारा याँ तलक दुश्मनों ने कान भरे आख़िर उस यार ने हमें मारा यूँ तड़पते न वस्ल के लिए हम उस के इक़रार ने हमें मारा सदमा-ए-ग़म से जाँ न जाती 'हया' रश्क-ए-अग़्यार ने हमें मारा