ख़्वाहिशों का ख़ून आँखों की नमी में ढूँढिए दास्तान-ए-ग़म हमारी ख़ामुशी में ढूँढिए हाल यूँ हस्ब-ए-रिवायत पूछने से पेशतर दिल के टुकड़ों की खनक फीकी हँसी में ढूँढिए मुस्कुराना तो नहीं आसान ग़म को झेल कर चाँद के दिल की जलन को चाँदनी में ढूँढिए दब गया जब वो मरासिम ख़ाक हो कर ख़ाक में उस की गर्मी को भला क्यों ख़ाक ही में ढूँढिए आप की ज़र्रा-नवाज़ी दाद का है शुक्रिया पर कभी तो हूक दिल की शायरी में ढूँढिए