कोई जब दिल पे छा जाए समझ लेना मोहब्बत है हसीं मंज़र जो तड़पाए समझ लेना मोहब्बत है शजर मदहोश मौसम में गले आपस में मिल जाएँ तुम्हें रश्क उन पे आ जाए समझ लेना मोहब्बत है उमड़ती जब नदी कोई दिलों की प्यास भड़काए समुंदर दिल में लहराए समझ लेना मोहब्बत है गुलों पे बैठा भँवरा देख कमसिन देर तक सोचे ख़ला में देख मुस्काए समझ लेना मोहब्बत है किसी तन्हा शजर पर जब कोई फूलों-भरी अल्हड़ लता बल खा के चढ़ जाए समझ लेना मोहब्बत है किसी हमराज़ से सुन कर कोई एक नाम प्यारा सा नज़र चुप-चाप झुक जाए समझ लेना मोहब्बत है कभी बाद-ए-सबा के मस्त झोंके की ख़ुशामद पर कली मुँह फेर शरमाए समझ लेना मोहब्बत है ग़ज़ाला की तरह आँखें बिना कारन भटकती हों जो दिल बे-वज्ह घबराए समझ लेना मोहब्बत है तसव्वुर में खनक कर कान में पायल की इक खन-खन दिलों में दर्द भर जाए समझ लेना मोहब्बत है अधूरे चाँद को बदली शरारत से कभी चूमे कोई मन ही में मुस्काए समझ लेना मोहब्बत है किसी तितली को उड़ती देख कर फूलों से जब अपनी नज़र अश्कों से भर जाए समझ लेना मोहब्बत है