कि जैसे मरहम से ज़ख़्म भरना ग़लत नहीं है किसी के दुख का मुदावा करना ग़लत नहीं है ये लोग कहते हैं इश्क़ करना बड़ी ख़ता है बिलाल-हब्शी सा इश्क़ करना ग़लत नहीं है किसी के चेहरे पे मुस्कुराहट बिखेर देना किसी के दिल में भी यूँ उतरना ग़लत नहीं है पसंद है ख़ूब-सूरती भी हमारे रब को सो जान मेरी तरह सँवरना ग़लत नहीं है तुम्हारा वा'दा-ख़िलाफ़ होना ग़लत नहीं तो हमारा बातों से भी मुकरना ग़लत नहीं है यहाँ मोहब्बत को और नज़रों से देखते हैं हमारा हाथों पे हाथ धरना ग़लत नहीं है मैं जानता हूँ कि 'शोख़-जी' तुम बड़े निडर हो सितमगरों के सितम से डरना ग़लत नहीं है