किस का लब पर मिरे फ़साना है हमा-तन-गोश इक ज़माना है ज़िंदगी एक ख़्वाब है लेकिन इस हक़ीक़त को किस ने जाना है किस तरह ग़म को छोड़ दूँ यक-लख़्त इस से रिश्ता बहुत पुराना है और थोड़ी सी कीजिए तकलीफ़ दो क़दम पर ग़रीब-ख़ाना है आप को लौटने की देर है बस उम्र-ए-रफ़्ता को लौट आना है ज़िंदगी तुझ से क्या मैं प्यार करूँ चाल तेरी मुसाफ़िराना है रू-ब-रू दिल के है वो शोख़-नज़र बर्क़ की ज़द में आशियाना है है तमन्ना किसी से मिलने की मौत तो ऐ 'जिगर' बहाना है