किस को खोया है किस को पाया है बारहा ये ख़याल आया है ज़िंदगी की कराहतों पर भी हम को आया तो प्यार आया है लुत्फ़ मरने में है न जीने में मोड़ ऐसा भी एक आया है वा'दा कर वा'दा कुछ तो बात बने किस ने वा'दा भला निभाया है आग अपनी हो या पराई हो अपने अश्कों से ख़ुद बुझाया है ज़िंदगी की स्याह रातों को तेरी यादों से जगमगाया है बोझ उठता नहीं है क्या कहिए हम ने सौ सौ तरह उठाया है कारवाँ है न कारवाँ का ग़ुबार ख़िज़्र ने गुल ये क्या खिलाया है हम ने 'हसरत' सुकून की ख़ातिर दुश्मनों को गले लगाया है