किस से करेंगे अर्ज़-ए-तमन्ना कहें जिसे मिलता नहीं है कोई भी अपना कहें जिसे गिरती हुई हयात की दीवार थामिए लाज़िम है दर्द दिल का सहारा कहें जिसे मय-ख़ाना-ए-हयात में बहती है जू-ए-ख़ून साक़ी तिरा तग़ाफ़ुल-ए-बे-जा कहें जिसे ख़ून-ए-जिगर से बज़्म-ए-तमन्ना है लाला-रंग महरूमियाँ हैं और दिल-ए-शैदा कहें जिसे आबाद उन के जज़्ब-ए-मोहब्बत के दम से है अक़्ल-ओ-दिल-ओ-ख़याल की दुनिया कहें जिसे दुनिया के हादसात से आसाँ गुज़र गए कितना हसीं है वा'दा-ए-फ़र्दा कहें जिसे अल्लाह क्या हैं सोज़-ए-तमन्ना की इनायात मर मर के उन की राह में जीना कहें जिसे जब ना-गहाँ मिले तो किया वादा-ए-विसाल ये इल्तिफ़ात है कि बहाना कहें जिसे