किस से ठंडक है कि ये सब हैं जलाने वाले नाले आहों से सिवा आग लगाने वाले बा'द मुर्दन तो हुआ सोज़-ए-मोहब्बत पैदा वो मिरी क़ब्र पे हैं शम्अ' जलाने वाले कोठे पर चढ़ के उड़ाया न करें आप पतंग डोरे डालें न कहीं यार उड़ाने वाले क्यूँकि माशूक़ों के वा'दों पे हया करते थे भोले-भाले थे बहुत अगले ज़माने वाले उड़ती चिड़ियाँ कोई क्या पकड़ेगा उन के आगे अच्छे-अच्छों को हैं चुटकी में उड़ाने वाले हम जो कहते हैं कि मरते हैं तो फ़रमाते हैं ऐसे देखे हैं बहुत जान से जाने वाले ले के दिल आँख भी तो हम से मिलाते वो नहीं थे मिरे दिल की तरह दिन भी ये आने वाले