किस तयक़्क़ुन तलक गए हम लोग फिर भी ऐ दिल भटक गए हम लोग मिस्ल-ए-दरिया मिली थी सैराबी मिस्ल-ए-साहिल बिलक गए हम लोग यूँही इक दिन सफ़र किया आग़ाज़ यूँही इक रोज़ थक गए हम लोग एहतिमामन हुए थे हम-आग़ोश एहतियातन बहक गए हम लोग एक ख़ुशबू चमन में लाई थी और सहरा तलक गए हम लोग नूर था या वो इक बदन था 'समीर' उस को छू कर चमक गए हम लोग