किसे तलाश करें शरह-ए-आरज़ू के लिए ज़बान-ए-हाल ही काफ़ी है गुफ़्तुगू के लिए वो और मैं जो हैं दुनिया-ए-रंग-ओ-बू के लिए किया है ख़ल्क़ मुझे अपनी जुस्तुजू के लिए सितम के बा'द करम की निगाह क्या मा'नी जिगर के ज़ख़्म तो होते नहीं रफ़ू के लिए नियाज़-ओ-नाज़ के आईन कोई क्या जाने तिरी तलाश रही अपनी जुस्तुजू के लिए अदा हुआ न कभी मुद्दआ-ए-दिल हम से वो वक़्त मिल भी गया उस से गुफ़्तुगू के लिए ग़म-ए-फ़िराक़ से वाबस्ता हैं कुछ उम्मीदें लिया है साथ इसे तेरी जुस्तुजू के लिए मिरे ख़याल में आई है शामत-ए-दिल आज मचल रहा है जो ये तुझ से गुफ़्तुगू के लिए हज़ार-हैफ़ मिरा दिल मिटा दिया तू ने यही था एक तिरे ग़म की आबरू के लिए मिले मिले न मिले वो तो उस का ग़म क्या है बनी है फ़ितरत-ए-इश्क़ उस की जुस्तुजू के लिए ग़म-ए-हयात कहाँ और मुझ सा रिंद कहाँ ये कुल्फ़तें हैं फ़क़त एक आरज़ू के लिए वो आए और चले भी गए मगर अफ़सोस मैं सोचता ही रहा उन से गुफ़्तुगू के लिए तिरी तलाश तो ख़ामोशियों में पिन्हाँ है ये ज़ाहिदान-ए-ज़माना हैं हाओ-हू के लिए सितम-ज़रीफ़ी-ए-फ़ितरत नहीं तो फिर क्या है कि तेरा इश्क़ है मुझ से फ़रिश्ता-ख़ू के लिए वफ़ा सरिश्त में शामिल है मेरी ऐ 'साबिर' मैं अपनी ज़ीस्त मिटा दूँगा आबरू के लिए