किसी के दुख पे अगर हम मलाल करते हैं अजीब लोग हैं उल्टा सवाल करते हैं कभी कभी तो उसे फूँकने को जी चाहे वो घर कि जिस की बहुत देख भाल करते हैं तुम्हारे साथ नहीं मसअला ये शुक्र करो जो तुम को देख के साँसें बहाल करते हैं तुम्हें बिखरते हुए फूल अच्छे लगते थे सो अपनी ज़ात को हम पाएमाल करते हैं भला हो शहर-ए-सितमगर तिरे मकीनों का ये मरने वालों का कितना ख़याल करते हैं तुम्हारा हिज्र ग़नीमत है ऐसे मौसम में तुम्हारे वस्ल के लम्हे निढाल करते हैं वो जिन को ठीक से आता नहीं है काम कोई कमाल है कि वो 'साहिर' कमाल करते हैं