किसी के इश्क़ में दिल बे-क़रार कौन करे वही गुनाह बता बार बार कौन करे अगर सफ़र में सुकूँ है किसी मुसाफ़िर को कहीं ठहर के सुकूँ तार तार कौन करे फ़रेबियों में परेशाँ है सब के सब रिश्ते यहाँ वफ़ाओं पे अब ए'तिबार कौन करे मोहब्बतें तो यहाँ चंद रोज़ होती हैं तमाम उम्र का आख़िर क़रार कौन करें गले लगा के करें हर ख़ता मुआ'फ़ मिरी बग़ैर माँ के भला इतना प्यार कौन करे जो ख़ौफ़ बरपा है वो दूर सब की आँखों से तेरे सिवा मिरे पर्वरदिगार कौन करे