किसी ने देखा नहीं इल्तिजा के लहजे में हज़ार फूल खिले थे दुआ के लहजे में जो आदमी है उसे आदमी मिलूँगा मैं ख़ुदा से बात करूँगा ख़ुदा के लहजे में मैं कोहसार पे तेशा-ब-दस्त पहुँचा तो वो शक्ल बोल उठी अप्सरा के लहजे में ये दिन दिखाए है मुझ को मिरी मोहब्बत ने कि मुझ से बात करो तुम ख़ुदा के लहजे में न-जाने कौन था क्या था मगर अचानक ही वो हम-कलाम हुआ अंबिया के लहजे में ये और बात कि मैं सुन नहीं सका वर्ना दिए ने कुछ तो कहा था हवा के लहजे में दिए हैं उस को बहुत दर्द इस ज़माने ने हज़ार ज़ख़्म हैं पिन्हाँ 'फ़िदा' के लहजे में