तितलियाँ नींद की पहले तो उड़ाई जाएँ फिर हमें ख़्वाबों की ताबीरें बताई जाएँ हौसलों की लिए पतवार लड़े मौजों से कश्तियाँ ऐसी समुंदर में चलाई जाएँ दर्द ने दिल पे मिरे फिर से लगाई दस्तक उस की राहें सभी फूलों से सजाई जाएँ लिख गए मीर-तक़ी-'मीर' सुख़नवर 'ग़ालिब' गीत ग़ज़लें वो ज़माने को सुनाई जाएँ कर दे रुस्वा जो हमें सब की नज़र में 'ज्योति' बातें कहती हूँ वो ख़ुद से भी छुपाई जाएँ