किसी ने हाल जो पूछा कभी मोहब्बत से लिपट के रोया बहुत देर उस से शिद्दत से हमारा साथ जो छूटा तो इस में हैरत क्या हमारे हाथ तो छूटे हुए थे मुद्दत से ये और बात कि बीनाई जा चुकी मेरी तुम्हारे ख़्वाब रखे हैं मगर हिफ़ाज़त से जब उस ने भीड़ में मुझ को गले लगाया था हर एक आँख मुझे तक रही थी हैरत से ये कारोबार-ए-सियासत बहुत ही अच्छा है बस आप झूट को बेचो बड़ी सदाक़त से