किसी सूरत तो दिल को शाद करना हमें दुश्मन समझ कर याद करना दुआएँ देंगे छुट कर क़ैदी-ए-ज़ुल्फ़ जहाँ तक हो सके आज़ाद करना कहीं वो आफ़रीं ऐसा पड़े हाथ न मुझ पर रहम ओ जल्लाद करना मसीहाई दिखाना बा'द-ए-मुर्दन जो दिल चाहे तो कुछ इरशाद करना उड़ा दो ख़ाक मेरी ठोकरों से अगर मंज़ूर है बरबाद करना अदब सीखे नहीं हूँ नौ-गिरफ़्तार बता कर क़ाएदे बेदाद करना मज़ा था बेबसी की गालियों में इसी भूले सबक़ को याद करना बहुत मुश्किल है इन संगीं-दिलों से ख़याल-ए-ख़ातिर-ए-नाशाद करना जनाज़ा उठ चुके मेरा तो तुम भी अदा रस्म-ए-मुबारक-बाद करना 'नसीम'-ए-ख़स्ता-दिल ने जान दे दी ग़ज़ब लाया तिरा बेदाद करना