किताब-ए-वक़्त में सच्ची इबारत मैं लिखूँगा मुनाफ़िक़ जो नहीं लिखते हैं 'शौकत' मैं लिखूँगा चराग़-ओ-आइना से काम लूँगा सत्र-दर-सत्र नए अंदाज़ से इंजील-ए-हैरत मैं लिखूँगा मुसाफ़िर शाम का हूँ ऐ मिरी सुब्ह-ए-मदीना लहू और अश्क से अपनी हिकायत मैं लिखूँगा ख़ुदा ने ये सआ'दत मेरी क़िस्मत में लिखी है ग़ज़ल सेहरा सर-ए-कू-ए-मलामत मैं लिखूँगा ख़ुदावंदा ब-नाम-ए-आदमिय्यत इक खुला ख़त खुला ख़त इक ब-नाम-ए-आदमिय्यत मैं लिखूँगा जुनूबी एशिया के सब्ज़ मुस्तक़बिल की ख़ातिर नई नस्लों का ऐलान-ए-मोहब्बत मैं लिखूँगा अमीर-ए-शहर मैं शाइ'र हूँ दरबारी नहीं हूँ तुझे किस ने कहा तेरी फ़ज़ीलत मैं लिखूँगा ग़ज़ल के अहद-नामा में नई सत्र-ए-बशारत मोहब्बत की नई सत्र-ए-बशारत मैं लिखूँगा मिरा मस्लक सना-ए-आदमी करना है 'शौकत' सना-ए-आदमी मेरी इबादत मैं लिखूँगा