किताब कौन सी है और किस ज़बान में है सुना है ज़िक्र हमारा भी दास्तान में है उसी ने धूप में चलने की जीत ली बाज़ी वो एक शख़्स जो मुद्दत से साएबान में है ज़मीं को जो भी उगाना है वो उगाएगी मुझे पता है मिरा रिज़्क़ आसमान में है वो लौट आए तो अपनी भी कुछ ख़बर दूँगा मिरे लहू का परिंदा अभी उड़ान में है उसे भी छोड़ कि अब हौसला नहीं बाक़ी वो एक तीर जो अब तक तिरी कमान में है यहीं कहीं न कहीं है 'शमीम'-फ़ारूक़ी अगर यक़ीं में नहीं है तो फिर गुमान में है