कू-ब-कू होता नहीं या दर-ब-दर होता नहीं ख़ून-ए-नाहक़ किस तरफ़ शाम-ओ-सहर होता नहीं हर शजर ऐ दीदा-ए-तर बारवर होता नहीं हर सदफ़ की गोद में जैसे गुहर होता नहीं सुनते आए हैं कि शर का बदला शर होता नहीं आज-कल के दौर में ऐसा मगर होता नहीं है मिरा होना न होना उस परिंदे की तरह एक पर होता है जिस का एक पर होता नहीं तेरे दीवाने को देखा है हमेशा सर-ब-कफ़ तेरे दीवाने का दिल होता है सर होता नहीं आज-कल क्या कुछ नहीं होता ख़ुदा के नाम पर आज-कल क्या कुछ ख़ुदा के नाम पर होता नहीं मोहतरम क़ानून-साज़ो ये भी क्या क़ानून है एक भी क़ानून आएद आप पर होता नहीं