कोहसार-ए-हुनर मुझ से अभी सर न हुआ था मैं चाक-ए-गरेबाँ का रफ़ू-गर न हुआ था दीवार की तहरीर ने कोशिश तो बहुत की आमोख़्ता अक्सर मुझे अज़बर न हुआ था दुनिया के लिए मुझ में कशिश किस लिए होती गर्दिश में रहा मैं कभी महवर न हुआ था मालूम उसे ख़ूब थे इक सर के मसारिफ़ दीवार बना शख़्स कभी दर न हुआ था उस के तो मकाँ जैसे ख़द-ओ-ख़ाल नहीं थे जब तक कि यही दश्त मिरा घर न हुआ था दारोग़ा-ए-ग़म ख़ूब नज़र रखते थे लेकिन इक सानेहा इस दिल पे मुक़र्रर न हुआ था हर नींद के पहलू में कई फूल थे लेकिन ता'बीर से हर ख़्वाब मोअ'त्तर न हुआ था इस बार सितारों ने भी 'अतियात दिए थे इस बार मगर चाँद मुनव्वर न हुआ था