इक ताइर-ए-ख़िज़ कहीं रस्ता बदल गया

इक ताइर-ए-ख़िज़ कहीं रस्ता बदल गया
सहरा-ए-फ़िक्र तेरा नसीबा बदल गया

मिलने लगी अजीब सी ता'बीर भीक में
लगता है ख़्वाब का कोई कासा बदल गया

इज़हार करते दिल की ख़मोशी ज़रा बता
बदला है ग़म कि ग़म का मुदावा बदल गया

मैं साहिल-ए-गुमाँ की ज़बाँ सीखता मगर
दरया-ए-मुम्किनात का लहजा बदल गया

सैक़ल-गरी कमाल की इक अक्स-ए-गुल ने की
आईना-ए-चमन का सरापा बदल गया

रुख़्सत मिली तो तोहफ़े में ख़य्यात-ए-तिश्नगी
आसूदगी के तन का लबादा बदल गया

लगने लगी है फिर से मुझे अजनबी ज़मीं
लगता है फिर से मेरा सितारा बदल गया


Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close