कोई दानाइयों को हेच जाने कोई नादानियों से ख़ुश नहीं है कभी घबरा उठे दिल मुश्किलों से कभी आसानियों से ख़ुश नहीं है गुलों से है गिला शाख़-ए-शजर को समुंदर पानियों से ख़ुश नहीं है कोई हंगामा आराई पे नालाँ कोई वीरानियों से ख़ुश नहीं है दिला मेरी तबीअ'त इन दिनों कुछ तिरी मन-मानियों से ख़ुश नहीं है