कोई दुनिया में ऐसा काम करो जिस से ऊँचा तुम अपना नाम करो आज का काम कल पे मत टालो कल जो करना है अब वो काम करो हम भी इंसाँ हैं तुम भी इंसाँ हो यूँ न इंसाँ का क़त्ल-ए-आम करो दुश्मनों को कभी बुरा न कहो दोस्तो दोस्ती को आम करो सुब्ह होते ही घर चले जाना आज की शब यहीं क़ियाम करो ये निशानी हैं अगले वक़्तों की इन बुज़ुर्गों का एहतिराम करो इस से बर्बाद वक़्त होता है हम से वा'दे न सुब्ह-ओ-शाम करो शैख़ जी मय-कदे में आते हैं मय-कशो उट्ठो एहतिराम करो