कोई हलचल है न आहट न सदा है कोई दिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई एक इक कर के उभरती हैं कई तस्वीरें सर झुकाए हुए कुछ सोच रहा है कोई ग़म की वादी है न यादों का सुलगता जंगल हाए ऐसे में कहाँ छोड़ गया है कोई याद-ए-माज़ी की पुर-असरार हसीं गलियों में मेरे हमराह अभी घूम रहा है कोई जब भी देखा है किसी प्यार का आँसू 'जामी' मैं ने जाना मिरे नज़दीक हुआ है कोई