कोई जलवा-फ़िशाँ है और मैं हूँ तसव्वुर का जहाँ है और मैं हूँ कठिन है राह मंज़िल गुम शब-ए-तार मगर अज़्म-ए-गराँ है और मैं हूँ ख़िज़ाँ की अंजुमन में हूँ फ़रोकश फ़रेब-ए-गुलिस्ताँ है और मैं हूँ ये मेरा दिल है या तस्वीर-ख़ाना जमाल-ए-गुल-रुख़ाँ है और मैं हूँ हमारा कारवाँ भटका हुआ है ख़याल-ए-कारवाँ है और मैं हूँ नज़र में मावरा-ए-फ़र्श-ओ-अर्श अब फ़ज़ा-ए-दो-जहाँ है और मैं हूँ मिरा कोई शरीक-ए-ग़म नहीं है मिरा दर्द-ए-निहाँ है और मैं हूँ तअ'स्सुब है कहीं फ़िरक़ा-परस्ती अजब नाज़ुक समाँ है और मैं हूँ शब-ए-तारीक के दामन में 'मग़मूम' सुकूत-ए-बेकराँ है और मैं हूँ