कोई जुगनू कोई दीपक किरन हो या सितारा हो सफ़र में रात आ पहुँची कोई तो अब हमारा हो किसी के इश्क़ का नग़्मा हमारे लब पे भी गूँजे कोई तो नाम ले कर अब हमारा भी पुकारा हो किसी के हाथ ऐसे हों जो मुझ को थाम सकते हूँ मुझे हर एक लग़्ज़िश पर सदा जिस का सहारा हो कोई तो सुब्ह ऐसी हो कि जब मैं नींद से जागूँ मिरी पहली नज़र को बस वही चेहरा नज़ारा हो कभी सोचा है मुमकिन है जिसे तुम बेवफ़ा समझे वही लड़की ज़माने में वफ़ा का इस्तिआ'रा हो तिरी पलकों की चौखट से जो आँसू चुन लिया मैं ने वो इक आँसू वही जुगनू मुझे हर शय से प्यारा हो भँवर पाँव से उलझे हैं मगर दिल की तलब ये है मिरे जीवन की नाव का तिरा संगम किनारा हो मैं कच्ची नींद से जागी न जाने आज फिर कैसे कोई उस पार से शायद मुझे फिर से पुकारा हो जुनून-ए-इश्क़ में 'ईमाँ' फ़क़त इतना परख लेना जिसे जुगनू समझती हूँ ख़बर क्या वो शरारा हो