कोई ख़ुशी न कोई ग़म है क्या किया जाए बड़ा अजीब सा आलम है क्या किया जाए ज़रा सुकूँ हो मयस्सर तो कोई बात बने यहाँ तो गर्दिश-ए-पैहम है क्या किया जाए कहीं से चीख़ भी उट्ठी तो रह गई दब कर कि घुंघरुओं की छमा-छम है क्या किया जाए कहाँ से लाइए मा'सूमियत फ़रिश्तों सी गुनाह फ़ितरत-ए-आदम है क्या किया जाए 'असीर' ख़्वाब दिखाया गया था जन्नत का गली गली में जहन्नम है क्या किया जाए