कोई मआल-ए-मोहब्बत मुझे बताओ नहीं मैं ख़्वाब देख रहा हूँ मुझे जगाओ नहीं किसी की याद है उन की महक से वाबस्ता मुझे ये फूल ख़ुदा के लिए सुँघाओ नहीं मोहब्बत और जवानी के तज़्किरे न करो किसी सताए हुए को बहुत सताओ नहीं ये कह रहा है मोहब्बत की काविशों से दिल ये मेरे हँसने के दिन हैं मुझे रुलाओ नहीं उजड़ के फिर नहीं बस्ता जहान-ए-दिल 'अख़्तर' बहार-ए-बाग़ को इस पर दलील लाओ नहीं