कोई मॉडल न कोई आइडियल चाहिए है आज भी चाहिए तू ही मुझे कल चाहिए है क़ैद कर बाँहों में फिर ज़ुल्फ़ को ज़ंजीर बना अब कोई काट-कपट और न छल चाहिए है मेरी ग़फ़लत है तिरे हुस्न-ए-मुजस्सम का ज़वाल मुझ को तन्हाई में पुर-नूर ख़लल चाहिए है एक मुद्दत से मैं महबूस हूँ अपने अंदर दम घुटा जाता है कुछ रद्द-ओ-बदल चाहिए है वक़्त का कोई तक़ाज़ा नज़र-अंदाज़ नहीं दिल ब-ज़िद है उसे हैरानी का हल चाहिए है रोटियाँ सेंकने बैठे हैं सियासत वाले उन को तो बर्क़-ओ-शरर रक़्स-ए-अजल चाहिए है ईस्तादा हैं गुलिस्ताँ में बहाइम हर सू ताइरो ग़ुल करो ये नेक अमल चाहिए है इन को माहौल की संगीनी का एहसास नहीं जो ये कहते हैं कि रंगीन ग़ज़ल चाहिए है इज़्ज़त-ए-नफ़्स का मुश्किल है तहफ़्फ़ुज़ या'नी एक फ़िरक़े को यहाँ जंग-ओ-जदल चाहिए है 'सरफ़राज़' अब वही हट-धर्म क़िले का ग़ासिब कह रहा है कि उसे ताज-महल चाहिए है