कोई पास आया सवेरे सवेरे By नशा, सुबह, Ghazal << हरीस-ए-ख़्वाहिश-ए-लअ'... कातिब-ए-तक़दीर मेरे हक़ म... >> कोई पास आया सवेरे सवेरे मुझे आज़माया सवेरे सवेरे मेरी दास्ताँ को ज़रा सा बदल कर मुझे ही सुनाया सवेरे सवेरे जो कहता था कल शब सँभलना सँभलना वही लड़खड़ाया सवेरे सवेरे कटी रात सारी मिरी मय-कदे में ख़ुदा याद आया सवेरे सवेरे Share on: