कोई तो इस का अहल हो ये जाम किस को दें दो घूँट बच गई थी जो कल शाम किस को दें इस अपनी दौड़-धूप का इल्ज़ाम किस को दें तुझ को न दें तो गर्दिश-ए-अय्याम किस को दें हमवार राह-ए-ज़ीस्त को करना तो है ज़रूर हम से निपट न पाए तो ये काम किस को दें सब ने घर अपने माल-ए-ग़नीमत से भर लिए सब मुस्तहिक़ हैं इस के तो इनआ'म किस को दें बर्बादी-ए-चमन में हमारा भी हाथ है मुश्किल ये आ पड़ी है कि इल्ज़ाम किस को दें तुझ को ख़ुदा समझ के कहा था ख़ुदा मगर अब है भला सा ये जो तिरा नाम किस को दें सब ही हमारे यार हैं भाई हैं या अज़ीज़ आराम किस का छीन लें आराम किस को दें 'राहत' तमाम लोग भले हो गए उधर लब पे जो आ चुकी है वो दुश्नाम किस को दें