लोग समझे थे छुपा रक्खा है धन गठरी में हम ने तो रक्खी थी माथे की शिकन गठरी में आ गया था हमें कुछ चाँद सितारों पे तरस हम ने तो बाँध ही लेना था गगन गठरी में ये हुनर सीख लें ये आप के काम आएगा ऐब हाथों पे रखा करते हैं फ़न गठरी में दाम इतने कि किसी चीज़ को छूना था मुहाल बाँध के लाया हूँ मेले से थकन गठरी में सोच पे पहरा बिठाया है किसी ने अब तक क्या कोई बाँध के रख सकता है मन गठरी में वही ओढ़ा दिया मय्यत पे मिरी अपनों ने मैं ने जो रक्खा था यादों का कफ़न गठरी में हम से सच-मुच ही बड़ी भूल हुई थी 'राहत' हम को रख लेना थी सीने की चुभन गठरी में